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जनपद के इतिहास की अधिकृत जानकारी डा0 एन0 सी0 मेहरोत्र्रा की पुस्तिका ‘शाहजहंापुर ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर‘ 1999 से होती है। उनके अनुसार जनपद मे योजनावद्ध उत्खलन के अभाव मे भी यहंा के प्रचीन खण्डहर अतीत का सजीव चित्र्रण प्रस्तुत करते है। प्राचीन काल मे मोती नामक एक विशाल नगर था जो सुरक्षा की दृष्टि से चारो ओर दीवारो से घिरा था इस स्थान से पक्की ईटो तथा इस पर ओम नमः शिवाय, तथा कुषाण शक एवं मित्र शासकांे के सिक्के मिले हैं गोरा रायपुर मे बुद्वकालीन सामग्री तथा खेडा बझेड़ा,़ थनेका, निगोही, घुसगवां ,बुधआना ,नूरपूर, आदि मे प्राचीन महत्वपूर्ण सामग्री मिली है जो जनपद के अतीत पर प्रकाष डालती है हर्षवर्धन काल का 1894 मे बांस खेडा से मिले ताम्रपत्र अभिलेख से स्पष्ट है कि इस काल मे जनपद का नाम जनता अंगदीय था । संस्कृत भाषा में कसरक ताम्रपत्र्र अभिलेख 13 वंीं शताब्दी में जनता की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालता है। उत्तर वैदिक काल से लेकर हिन्दु शासकांे के प्रभाव के समय तक यह उत्तरी पंाचाल का महत्वपूर्ण भाग था। मध्य काल मंे यह क्षेत्र्र कटेहर के अन्र्तगत था एक प्रशासनिक इकाई के रुप मे कांट-ओ-गोला की 20 मील की पटटी के सम्बध मे अधिकृत जानकारी शेरशाह सूरी के शासन काल मंे मिलती है जब यह क्षेत्र बदायंू सरकार के अधीन था। शाहजहंा के शासन काल में नवाब बहादुर खां ने बादशाह के प्रति वफादारी दिखाते हुए इस स्थान का नाम शाहजहंापुर प्रस्तावित किया तथा 1647 से यह शाहजहंापुर के नाम से जाना जाने लगा। नवाब बहादुर खां ने नौ हजार अफगानो का एक काफिला भेजा जिसमे अनेक खेल अफगान थे। नवाब बहादुर खां ने एक किले का निर्माण कराया। इस किले से नवाब वंश के नवाब गैरत खां, नवाब अजीज खां ,नवाब तहव्व खां, व नवाब अब्दुल्ला खां ने दीर्घ काल तक शासन किया। शाहजहंापुर नगर में अधिकतर मोहल्ले अफगान खेल बहादुर खां के बेटो, परिजनों, नवाब ,फौज के अफसरो के नाम पर है । सन 1813-14 मे शाहजहांपुर को एक नये जिले के रुप मे मान्यता मिली । शाहजहंापुर नगर के दक्षिण -पश्चिम मे 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जलालाबाद सांस्कृतिक व ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह स्थान महर्षि जमदग्नि का निवास स्थान रहा है। कहा जाता है कि जलालाबाद का नाम करण जलालुददीन फिरोज खिलजी के शासन काल मे हुआ जब कि शाहजहंापुर गजेटियर के अनुसार इसका नामकरण जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के शासन काल मे हुआ। शाहजहंापुर नगर के उत्तर पूर्व मे 29 किलोमिटर दूर स्थित पुवायंा तहसील है। जहंा तक नामकरण का प्रश्न है नाहिल के राजपूतांे का नाहिल के पूर्व मे बस जाने के कारण इसे पुवायंा कहा गया। पुवायंा उसी का रुपान्तर है। शाहजहंापुर के उत्तर -पश्चिम मे 19 किलोमिटर पर स्थित तिलहर का दूसरा नाम तीर कमानो का नगर है यहा के बने बास के तीर -कमान सेना के लिये प्रचुर मात्रा मे भेजे जाते थे। जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के शासन काल मे एक वफादार बाछिल राजपूत त्रिलोक चन्द्र के नाम पर इस स्थान का नाम तिलहर पडा। कटरा के बारे मे जानकारी औरंगजेब के षासन काल से मिलती है जब बरेली के नाजिम मीर-ए-मीरान ने कटरा की स्थापना की जो मीरानपुर कटरा के नाम से प्रसिद्व है।

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